Tuesday, March 13, 2007

मां सरस्वती







जय, जय, जय हे माँ सरस्वती,
तुमको आज निहार रहा हूँ।
अपने हाथ पसार रहा हूँ ।।

ज्ञान-शून्य हो भटक रहा हूँ,
मुझको नव-पथ तू दर्शा दे।
सूखे मानस में तू मेरे,
ज्ञान-सुधा आकर बरसा दे।
मुझको शक्ति दे दे माता,
पल-पल में मैं हार रहा हूं ।।

मातृभूमि की सेवा ही अब,
जीवन का आधार बने माँ ।
कर्म हमारी पूजा होगी,
स्वार्थ नहीं दीवार बने माँ ।
दे आशीष मुझे ओ शारद,
कबसे तुम्हें पुकार रहा हूँ ।।

कर कमलों में वीणा शोभित,
सत्कर्मों के गीत सुनाते।
श्वेत-वसन पावन माँ तेरे,
विमल आचरण को दर्शाते ।
ज्ञान किरण दे, घोर तिमिर में,
घिरता मैं हर बार रहा हूँ ।

जय, जय, जय हे माँ सरस्वती,
तुमको आज निहार रहा हूँ ।


000000000000

मत समझो बच्ची



मत समझो मुझको तुम बच्ची,
करती हूँ मैं बातें अच्छी ।

काम करूँ मैं पढ़ने का,
सोचूं आगे बढ़ने का ।
झूठ नहीं, मैं बोलूं सच्ची ।
मत समझो मुझको तुम बच्ची ।

बंद करो न मुझको घर में,
जाऊंगी मैं दुनिया भर में ।
कौन बोलता, मुझकों कच्ची ।

मत समझो मुझको तुम बच्ची,
करती हूँ मैं बातें अच्छी ।


00000000000

घड़ा




मिट्टी का मैं एक घड़ा हूँ,
आता सबके काम बड़ा हूँ ।

क्या गरीब, क्या पैसे वाले,
सब हैं मुझको रखने वाले।
छूआछूत को दूर भगाने,
चौराहे पर रोज खड़ा हूँ ।

मिट्टी का मैं एक घड़ा हूँ,
आता सबके काम बड़ा हूँ ।


00000000

मीठा रगड़म




अगड़म-बगड़म,
छोड़ो तिकड़म ।

भूलो ऊधम,
पढ़ लो तगड़म ।

फेल हुए तो,
मिलता झपड़म ।

पास हुए तो,
मीठा रगड़म ।

अगड़म-बगड़म,
छोड़ो तिकड़म ।


000000

चिड़िया



प्यारी चिड़िया,
तू फिर आना ।
चांवल दूँगी,
उसको खाना।

खाकर के
मुझसे बतियाना ।
अपने घर का,
हाल सुनाना ।

प्यारी चिड़िया,
तू फिर आना।


0000000

मैना-मिट्ठू




मैना ने आवाज लगायी,
बोलो-बोलो मिट्ठू भाई,
चोंच नुकीनी कैसे आयी ।
मिट्ठू बोला सोचकर,
ध्यान धरो मत चोंच पर ।
बस, खाने में है आराम,
चना, मिर्च हो या फिर आम ।।


000000000

हाथी दादा





हाथी दादा रोज नहाते,
पानी साबुन नहीं बचाते ।
चिड़िया रहती है परेशान,
रह जाता उसका स्नान ।।


00000000